भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक होता कि दूसरा होता / रवि सिन्हा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक होता कि दूसरा होता
कोई तो ख़ुद का फ़ैसला होता

ज़िन्दगी को यहीं पहुँचना था
रास्ता तो मगर चुना होता

आँख खोली है सुबह होने पर
रात का सामना किया होता

आपने दुश्मनी निबाही है
आपसे कुछ तो फ़ासला होता

आज दुनिया का खेल देखा है
कल की दुनिया से मश्ग़ला<ref>सरोकार (engagement)</ref> होता

ख़्वाब वो दफ़्न है हक़ीक़त में
नख़्ल<ref>पेड़, पौधा (tree, sapling)</ref> उस ख़्वाब का उगा होता

मौत का दिन कहाँ मुअय्यन<ref>तय (appointed, determined)</ref> था
आपने याद तो किया होता

शब्दार्थ
<references/>