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एटम और भगवान / कुलवंत सिंह
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कण-कण में बसता भगवान
जन-जन में रहता भगवान,
माया तेरी बड़ी निराली
एटम में दिखता भगवान.
इलेक्ट्रान है छोटा कितना
सुई नोक का खरब है जितना,
एटम में जब छलांग लागाये
ऊर्जा का इक अंश निकलता.
स्फुरण, प्रस्फुरण यह दिखाते
स्पेक्ट्रम से पहचान बताते,
नगण्य कहो तुम इनको कितना
अनेक प्रभाव यह दिखलाते.
एटम खुद है छोटा कितना
नाभिक का तो फिर क्या कहना,
लेकिन इसे विखंडित करके
मिलती ऊर्जा चाहो जितना.
विकिरण के स्वरूप तो देखो
एल्फा, बीटा, गामा परखो
यह भी ऊर्जा अपनी रखते
खूब संभाल कर इनको रखो.