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एड्स की पावती / सुरेश कुमार शुक्ल 'संदेश'
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छविछटा-चन्द्रिका रसवती हो गयी।
सर्जना जग उठी बलवती हो गयी।
ज्ञान की गीतिकाएँ सँवरने लगीं
ध्यान की भावना फलवती हो गयी।
आज एकान्त है शान्ति का सिन्धु है,
आपकी याद है गुणवती हो गयी।
लेखनी रूप् को शब्द देती रही
किन्नरी मौनव्रत की व्रती हो गयी।
युग प्रगति के शिखर चढ रहा आजकल
वासना एड्स की पावती हो गयी।
आज 'सन्देश' वैदिक मुखर हैं कहाँ?
यान्त्रिकी है त्वरित गतिमती हो गयी।