भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एतबेमे मालीन जेलमे जुमि गेल / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

एतबेमे मालीन जेलमे जुमि गेल
पल नरूपिया जेल गिराबैय
लछ-लछ गारि दुर्गा के दै छै
सुन गे बेइमनवी कुटनी दुर्गा
भल नइ हेतौ राज महिसौथा
केना गै ठकि मलीनियाँ के लबिले
हमर मोतीराम जे छेलै
हमर बौआ के नै खबर केले गै
एत्ते बात नरूपिया सोचै छै
छौड़ी मलीनियाँ जेल के घरमे
अपने हाथमे बान्ह खोलैय
तबे जवाब मलीनियाँ दै छै
केना हे एलह राज नौकरीया
किया चोरी बेइमनमा केलहऽ
कौन कसूरमे राजा जेल पठौलकऽ
हौ देवता लऽ कऽ मलीनियाँ चललै
मने मन विचार मलीनियाँ सोचै छै
छली मलीनियाँ राज मोरंग
स्वामी सतमे दुसाध पड़ली
स्वामी कारण नटिनियाँ बनबै
बान्हि के चोरबा हाजिर करबै
चोट-मोट हाजिर आइ कोहबरमे करबै रौ।।
हौ देवता लऽकऽ मलीनियाँ जाइ छै
ड्योढ़ीया उपरमे मालिन जुमलै
झूकि सलाम राजा करैय
सुनऽ सुनऽ हौ राजा दरबी
तोरा हम छाप बाबू देलीअ
सात दिन के हफ्ता देलीअ
एक्के बात के अरजी करै छी
हौ एक्के रत्ती सत हमरा बाबू कऽ दय
नै दयलै दरब नै लेबै धरम
एकेटा बात के अरजिया बाबू करै छी यौ।
हौ एत्ते बात राजा जखनी सुनै छै
मालिन संगमे सत करै छै
तब मलीनियाँ बोली बोलै छै
सुनऽ सुनऽ हौ बाबू सुनिलय
मनचित भैंसा जइ दिन दियौ
सात दिन के कारण बीचमे
जै दिन चोर-मोट हाजिर करबऽ
तहि दिन घुरिकऽ बाबू एबै
मनचित राम भैंसा हाजिर कऽ देबऽ हौ
हौ केना मलीनियाँ मनचित राम पकड़बे
जखनी हे जेबही धार तिरशूला
डूबा-डूबा कऽ मनचित मारतौ
कोरा कागज जे बनि रहि जायत
केयो चोर-मोट हाजिर हमरा कऽ देतै गै।।
एत्ते बात कुलहेसर राजा कहै छै।।
तब जवाब फुलवंती दै छै
हौ ऑडर दऽ हमरा जे दियौ
हमहुँ जेबौ धार तिरशूलबा
मनचित राम पकड़ि कऽ लौबै
मनचित राम पकरियामे आइ पकड़ि लेबै हौ।।
राजा कुल्हेसर ऑडर देलकै
छौड़ी मलीनियाँ मनचित पकड़लकै
जइ दिन जनम मनचित लेलकै
नरूपिया बाट मनचित तकै छेलै
प्रण धेने पकरिया मनचित छेलै
जइ दिन एतै राज पकरिया
नरूपिये हाथ से नाथल जेबै यौ।।
छौड़ी मलीनियाँ मनचित पकड़लै
स्वामी नरूपिया नाथ पहिरौलकै
आगू आगू मनचित भैंसा
रास्ता मलीनियाँ धने देलकै
भागल मलीनियाँ मोकमा चललै
घड़ी एक चलै छै पहर बीतै छै
मने मन मलीनियाँ सोचैय
मनचित भैंसा जलऽ लेलीयै
सिरका-सिरकी मूर्गा-मूर्गी
ठुमका-ठुमरी ढ़ोलक बोलेबै
जाबे नै हेतै छौड़ी मालीन के
केना हम नटिन भेष धरबै
केना जेबै मोकमा गढ़ के
केना चोरबा आइ पकड़ल जेतै गै।।
हौ भागल मलीनियाँ मैनाडीह पर जाइ छै
मैनाडीह पर नटबा भैया
सात भाइ छेलै नटबा भैया
मैनाडीह पर डेरा गिरौने
सखी लागल छै सती मालीन के
रानी फुलवंती सखीया लगौने
बूढ़वा मरबा छौड़ी बहिनियाँ
घड़ी चलै छै पहर बीते छै
पले घड़ी मैनाडीह पहुँचल
सात भाइ मैनाडीह बैठल
मने मन विचार नटिनियाँ करै छै
सुनऽ सुनऽ हे स्वामी नरूपिया
सात भाइ नटबा के बैठल
केना सिरकिया हम जे ठकबै
केना हम जेबै मोकमा नगरमे हय।।