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एत्ते बात चुहर सुनैत मे / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

एत्ते बात चुहर सुनैत मे
सबे समान हाजिर केलकै
छौड़ी नटिनियाँ गोदना झाड़ैय
सबे समान नटिनियाँ बान्हलकै
एक-एक के गैन-गैन के
समान लइये।
भागल नटनियाँ जब ड्योढ़िया पर से चललै
ड्योढ़िया पर नटनियाँ जाइ छै
पाछुए से चुहरा धरै छै
सुन गे नटिनियाँ दिल के वार्त्ता
किय गै सोनरा साँच बनौलकौ
ऊउँठीया डाँर सीना के चाकर
कतरल कतरल नाक लगैय
नेवला पान सन ठोर लगैय
मुठीया डाँर मलीनियाँ करैय
गाल पर बाल नटिनियाँ शोभैय
सुरति देख धैरज रहैय
आजू नटिनियाँ एहिठाम गमा दियौ गै।।
हौ एत्तेक बात चुहर बोलै छै
तबे जवाब नटिनियाँ दैये
हौ राजा रजबार तहुँ लगैछैह
सात रानी कोहबर भोगै छह
अठवाँ हम केना के जेबै
अपनेमे मारि जे बझतै
तोरा दिन तारिख हम दै छी
तोरे बागमे डेरा गिरौने
संझा पड़तै साँझ पड़तै
संझा बेरमे सिरकीमे अबिह
जेना-जेना मन हेतऽ
तेना-तेना करीहऽ
मन के ललिसबा चुहरा तोरा हम पुरा देबौ हौ।