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एत्ते बात जब दादा बुझैय / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

एत्ते बात जब दादा बुझैय
जतरा केलकै राज पकरिया कंचनगढ़ मे।
राज पकरिया देवता जुमलै
फुलबगियामे दादा जुमलै
चौदह बीगहा फलवाड़ी लगै छै
राजा कुल्हेसर बाग लगौलकै
रंग बिरंगि कऽके फुल लगौने
हेना गेना बाग लगौने
बड़की-छोटकी फूल लगौने
बेली चमेली बाग लगौने
बेली कठबेलीया बाग लगौने-2
चम्पा फूल फूलबगियामे लगलइ
संझा फूल बाग लगौने
सूरजा फूल बाग लगौने
चौपहरा फूल बाग लगौने
करमील फूल बाग लगौने
कमल फूल कमल हीर लगौने
फूल भलसरिया बाग लगौने
सब रंग फूलवा कुल्हेसर राजा लगौने यौ।
चलियौमे चलियौ नरूपिया फुलबान फुलबगिया देखैलय।-2
हौ एत्तेक बात नरूपिया सुनैय
हा मैया कहब से जतरा केलकै
राज पकरिया नरूपियामे जुमलै
फुलबगियामे देवता जुमि गेल
तब यौ दुर्गा कोन काम करै छै
रराजा सलहेस के बागमे छोड़ैय
हा भागल दुर्गा जाइ छै पकरिया
कोहबर घरमे सुतल छै चन्द्रा
हा चन्द्रा लगमे दुर्गा जुमि गेल
सपना दै छै सती चन्द्रा के
सुनिले बेटी गै चन्द्रा सुनिले
जहि पुरूष पर अँचरा बन्हले
बान्हल अँचरा बन्हले रहलौ
से एहे पुरूषवा फुलबगियामे बैठी गेलै गै।।
गै जाकऽ दरशनमा चन्द्रा करीयौ
हा स्वामी दरशन फेर नइ होयतौ
तखनी ने हमरा नै कहिये
सोहरि-सोहरि के गोर धरै छै
सुनिले गै मैया दुर्गा सुनिले
गै कड़ा सवाल बाबू के दै छै
सात सय पलटन ड्योढ़ी खटैय
केना जेबै फूलबगियामे
केना अय बुधि मैया हम रचबै गै।।