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एना मण्ढवा की, काहो देखी बात / पँवारी
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पँवारी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
एना मण्ढवा की, काहो देखी बात
एना मण्ढवा मऽ लगी चौरा जोत।
फूलन चाहे मण्ढवा हो।
एना मण्ढवा मऽ चौसट खंभा, चौर्यासी दीया जलय
एना मण्ढवा मऽ, खम्बज-खम्बज दीया जलय
एना मण्ढवा मऽ लगी हय जगा जोत
फूल चाहे मण्ढवा हो।
मऽ राऽ सदा की रनिया हो
एना मण्ढवा खऽ काहो देखय
एमऽ लग्या हय खम्बा चौर्यासी जगा जोत
फूलन चाहे मण्ढवा हो।