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एलबम के मालिकों के लिए / अपअललोन ग्रिगोरिइफ़ / वरयाम सिंह

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डर लगता है मुझे अपनी कविताओं से
रंग फेरना तुम्हारे एलबम पर,
तुम्हारी ज़िन्दगी की तरह यह एलबम
भावनाओं से अपरिचित है या भूल गया है उन्हें ।

साफ़ और सफ़ेद है यह एलबम
प्राचीन और कड़े वास्तुशिल्प से बने मन्दिर की तरह
जहाँ आराधना होती है सच्चे ईश्वर की,
सांसारिक देवताओं के लिए जहाँ कोई जगह नहीं ।

और मैं भूल चुका हूँ पूजा-पाठ करना,
मैं पुरानी नैतिकता का शत्रु
उसकी दीवारों पर स्वयं इच्छा न होने पर भी
तैयार हूँ भावनाओं के झोंके में
राख में गिरने के लिए उसकी पवित्रता के सामने

ओ हाँ, ओ हाँ ! उसके पन्नों को
मलिन नहीं करेगी मेरी विद्रोही कविता
मेरे साथ भागेगा नहीं मन्दिर की ओर
मेरा यह दैत्य — मेरी यह विवश बड़बड़ाहट ।

भले ही रुग्ण हो मेरा मन
असमर्थ हो सगौरव विश्वास करने में ...
लेकिन तुम पर अत्यधिक विश्वास है मुझे
लेकिन कामना करता हूँ तुम्हें भी विश्वास हो इतना ही ।

नवम्बर 1845

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह

और लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
                    Аполло́н Григо́рьев
                  Владельцам Альбома

Пестрить мне страшно ваш альбом
Своими грешными стихами;
Как ваша жизнь, он незнаком
Иль раззнакомился с страстями.

Он чист и бел, как светлый храм
Архитектуры древне-строгой.
Где служат истинному богу,
Там места нет земным богам.

И я, отвыкший от моленья,
Я - старый нравственности враг -
Невольно сам в его стенах
Готов в порыве умиленья
Пред чистотой упасть во прах.

О да, о да! не зачернит
Его страниц мой стих мятежный
И в храм со мной не забежит
Мой демон - ропот неизбежный.

Пускай больна душа моя,
Пускай она не верит гордо...
Но в вас я верю слишком твердо,
Но веры вам желаю я.

Ноябрь 1845