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एसो के सवनवाँ जोबनवाँ रहि-रहि उमकेला / महेन्द्र मिश्र

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एसो के सवनवाँ जोबनवाँ रहि-रहि उमकेला
घटा गरजेला घन घोर देवरा जोगिया
कारे-कारे बदरा हरि से कहिहऽ मोर सनेसवा
जोबना करेला तन जोर देवरा जोगिया।
आधी-आधी रतिया रामा बोलेला पपीहरा
जियरा ना माने अब त मोर देवरा जोगिया।
कहत महेन्द्र मोहन गइलें कवना देसवा
तारा गिनत होला भोर देवरा जोगिया।