मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
एहन समैया जल उमड़ल नदिया, कन्हैया नहि आयल हे ऊधो
रीतु प्रीतु जब मास अखाढ़, कन्हैया नहि आयल हे ऊधो
बारी बयस मोरा जब बीतल, कन्हैया नहि आयल हे ऊधो
साओन ऊधो सर्वसोहाओन, फुलि गेल बेली चमेली
कन्हैया नहि आयल हे ऊधो
ओहि फुलवा के हार गथायब, किनका गले पहिरायब
कन्हैया नहि आयल हे ऊधो
भादव ऊधो रैनि भयाओन, चहुँदिस उमड़ल बाढ़ि
कन्हैया नहि आयल हे ऊधो
लौका लौकै बिजुरी चमकै से देखि जियरा डेराइ
कन्हैया नहि आयल हे ऊधो
आसिन ऊधो आस लगाओल आसो ने पूरल हमार
कन्हैया नहि आयल हे ऊधो
आसो जे पुरितै, कुबजी सौतिनियां मोर कन्त राखल लोभाइ
कन्हैया नहि आयल हे ऊधो
कातिक ऊधो पर्व लगतु हैं, सब सखि गंगा नहाय
कन्हैया नहि आयल हे ऊधो
सब सखि पहिरै पीअर पीताम्बर, हमरो दैव दुख देल
कन्हैया नहि आयल हे ऊधो
अगहन ऊधो सारिल लिबि गेल, लिबि गेल सब रंग सीस
कन्हैया नहि आयल हे ऊधो