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एहसास की रात / मख़दूम मोहिउद्दीन

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मुझे डर है कहीं सर्द न हो जाए ये एहसास की रात
नरग़े<ref>घेरा</ref> तूफ़ान-ए हवादिस<ref>दुर्घटनाओं के तूफ़ान</ref> के, हवस<ref>लालसा</ref> की यलग़ार<ref>आक्रमण</ref>
ये धमाके, ये बगोले, सरे राह
जिस्म का, जान का, पैमाने वफ़ा क्या होगा ?
तेरा क्या होगा मेरे तारे नफ़स<ref>साँसों के तार</ref>
तेरा क्या होगा अय मिज़राबे जुनूँ<ref>उन्माद को जगाने वाला</ref>
ये दहकते हुए रुख़सार
ये महकते हुए लब
ये धड़कता हुआ दिल
शफ़क-ए-ज़ीस्त<ref>जीवन का क्षितिज</ref> की पेशानी का रंगीं क़श्क़ा<ref>तिलक</ref>
क्या होगा
उड़ न जाए कहीं ये रंग-ए जबीं<ref>पेशानी का रंग</ref>
मिट न जाए कहीं ये नक़्शे वफ़ा
चुप न हो जाए ये बजता हुआ साज़
शम्में अब कौन जलाएगा, सर-ए शाम गुज़रगाहों में
दहर<ref>दुनिया</ref> में महर-ओ-वफ़ा कुछ भी नहीं
सज़दा कुछ भी नहीं नक़्शे कफ़-ए पा<ref>पाँव के निशान</ref> कुछ भी नहीं
मेरे दिल और धड़क
शाख़े गुल
और महक, और महक, और महक

शब्दार्थ
<references/>