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सुनो!
यादों के पैरहम में
घूम आया कल
पुराने शहर की नई गलियाँ
कॉलेज की कैंटीन
पार्क की बेंच
और गुलमोहर का पेड़
बेशक अब भी दिखता है
खिड़की के बाहर से तुम्हारा डेस्क
हाँ, तुम वहाँ नहीं थी
पर मैं भी कहाँ वहीं हूँ!