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एहसास / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित
Kavita Kosh से
मिलना
फिर मिलना
जीभर कर मिलना
ऐसे ही होता है
जैसे किसी अजनबी में
अपनी सी
मासूमियत टटोलना
और
फिर
जीभर कर
उस क्षण को
महसूस करना
संजोकर रखना
अपनी मधुर स्मृति में
और
स्मृति
हमेशा
वही सुख देती है
जैसे पहली मुलाकात
की
वो सरगोशी
वो लम्हा
वो पल
जो आपको हमेशा
तरोताजा किये रखते हैं