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ए जी जित बांटे झोली भर फूल / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
ए जी जित बांटे झोली भर फूल उड़े पड़ सो रहे भगवान
ए जी बरसै सै रिम झिम मेघ बाहर भीज्जै एकले भगवान
ए जी थारै धौरे साथियां का साथ कैसे डरपो एकले जी भगवान
ए जी म्हारै चौंतरे पग ना देय लीप्या पोता ऊपड़ै भगवान
ए जी इतनी सी सुण कै नै किसन महलां ऊतरे भगवान
ए जी एक चणा दोय दाल दलै पाच्छै ना मिले भगवान
ए जी एक दही सूजै दूध फटे पाच्छै ना मिले भगवान
ए जी एक पुरुष दूजी नार लडें़ पाच्छै रत्न मिले भगवान
ए जी एक चणा दूजी दाल पीसे पाच्छै रत्न मिले भगवान
ए जी एक दही दूजै दूध बिलोय पाच्छै ना मिले भगवान
ए जी एक पुरुष दूजी नार मनाए पीछै मनै ए भगवान
ए जी रोवै राधा जार बेजार आंसू गेरै मोर ज्यूं भगवान
ए जी राधे रूस्से बारम्बार किसन रूस्से ना सरै भगवान