भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ए मेरी पतरी कमर नारो झुब्बादार लाइयो / हरियाणवी
Kavita Kosh से
हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
ए मेरी पतरी कमर नारो झुब्बादार लाइयो
झुब्बादार लाइयो करेलीदार लाइयो
ऐ मेरी पतरी कमर.....
तुम सहर बरेली जाइयो, आच्छा सा सुरमा लाइयो
लगाइयो अपने हाथ, नारी झुब्बादार लाइयो
ऐ मेरी पतरी कमर....
तुम सहर बनारस जाइयो, बढ़िया सी साड़ी लाइयो
बन्धाइयो अपने हाथ, नारो झुब्बादार लाइयो
ऐ मेरी पतरी कमर...
तुम मथुरा जी को जाइयो, अच्छे पेरा लाइयो
खवाइयो अपने हाथ, नारो झुब्बादार लाइयो
ऐ मेरी पतली कमर...
तुम बिन्दराबन को जाइयो, आच्छौ सो लहंगो लाइयो
पहनाइयो अपने हाथ, नारो झुब्बादार लाइयो
ऐ मेरी पतली कमर...