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ए मेरे पापा / एस. मनोज
Kavita Kosh से
ए मेरे पापा इतना करें करम
आने दें इस धरा पे, न जीवन करें खत्म
ए मेरे पापा ...
हसरत है ये दिल में देखूं धरा गगन
झूमू वन में ऐसी अल्हड़ बने पवन
छू ले नभ को बेटी ऐसा करें जतन
ए मेरे पापा ...
संतति हैं बराबर इसका तो भान हो
करती हैं जग को रौशन इतना भी ज्ञान हो
कुम्हलाएं अब ना बेटी ऐसा करें धरम
ए मेरे पापा....
बेटी के ही दम पर सृष्टि है चल रही
बेटी में ही कल की ख्वाहिश है पल रही
ख्वाबें बने हकीकत ले लें यही कसम है
ए मेरे पापा...