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ए हाँ, भोरे से चलइत, अवध भइले साँझे / भोजपुरी

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ए हाँ, भोरे से चलइत, अवध भइले साँझे,
ओही मधि पाकड़-तर हो लिहले रे बसेर।।१।।
ए हाँ हाँ रे, कटलों में नरखर, डँसलों में सेजे,
ओही मधु पाकड़-तर हो लिहले रे बसेर।।२।।
ए हाँ हाँ रे, घड़ी राति बोतले, पहर राति अउरो,
कवन कीड़वना हो काटे अँगंरी के पोर।।३।।
ए हाँ हाँ, उठु-उठु पातर पियवा, बारु ना रे अँजोरे,
कवन कीड़वना काटे अँगुरी के पोर।।४।।
ए हाँ हाँ, कटलों में नरखर बरलों रे अँजोरे,
काली त नगिनिया हो रामा पवरल जाई।।५।।
ए हाँ हाँ रे, अने क त बेरिया हो पाकड़ अति जुड़ि छहियाँ,
हमरी त बेरिया हो पाकड़, भइलू बटवार।।६।।
ए हाँ हाँ रे, कथिकर टँगिया, कथिअ करि बेंटे,
जरी से भीड़इबों हो पाकड़, करबों सकनाचूर।।७।।
ए हाँ हाँ रे, सोने करू टँगिया, रूपे लागले बेंटे,
जरी से कटबों हो पाकड़, करबो सकनाचूर।।८।।