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ऐंगनाहि रिमिझिमि सासु, अबोधऽ जमाय हे / अंगिका लोकगीत
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♦ रचनाकार: अज्ञात
ऐंगनाहिं<ref>आँगन में</ref> रिमिझिमि सासु, अबोधऽ जमाय हे।
कौने घाटे कौने बाटे, लै जैतअ<ref>ले जायगा</ref> धीआ हे॥1॥
एहो मतु<ref>मत</ref> बुझिहअ सासु, अबोधा जमाय हे।
अच्छा घाटे अच्छा बाटे, लै जैभोन<ref>ले जाऊँगा</ref> धीआ हे॥2॥
बाटँंि खिलैबै सासु हे, पाकल बीरा<ref>बीड़ा; खिल्ली</ref> पान हे।
घरहिं खिलैबै सासु हे, खूबा औंटल दूध हे॥3॥
बाटँहिं सुतैबै सासु हे, चदरी ओछाय हे।
घरँहिं सुतैबै सासु हे, पलँगी बिछाय हे॥4॥
शब्दार्थ
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