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ऐन ख़्वाहिश के मुताबिक सब उसी को मिल गया / मुनव्वर राना
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ऐन <ref>ठीक</ref>ख़्वाहिश <ref> इच्छा</ref>के मुताबिक़<ref>अनुरूप</ref>सब उसी को मिल गया
काम तो ‘ठाकुर’ ! तुम्हारे आदमी को मिल गया
फिर तेरी यादों की शबनम<ref>ओस</ref>ने जगाया है मुझे
फिर ग़ज़ल कहने का मौसम शायरी
याद रखना भीख माँगेंगे अँधेरे रहम की
रास्ता जिस दिन कहीं से रौशनी को मिल गया
इसलिए बेताब हैं आँसू निकलने के लिए
पाट चौड़ा आज आँखों की नदी को मिल गया
आज अपनी हर ग़लतफ़हमी पे ख़ुद हँसता हूँ मैं
साथ में मौक़ा मुनाफ़िक़<ref>प्रत्यक्ष रूप से मित्र-भाव किंतु मन में द्वेश रखने वाला</ref>की हँसी को मिल गया
शब्दार्थ
<references/>