आवै छथीं एगो बुतरू मटकू धैलें ।
पीताम्बर के भगवा पिन्हलें हाथें बंसी लेलें ।।
सभे गोरखिया पाछू दौगलि आवै धूर उड़ैलें ।
गाय चरैलें, दूध दुहैलें, चुकढ़ी केॅ लटकैलें ।।
जगन्नाथ घर ऐलखी कान्हा रसें-रसें मुस्कैलै ।
आवै छथीं एगो बुतरू मटकू धैलें ।
पीताम्बर के भगवा पिन्हलें हाथें बंसी लेलें ।।
सभे गोरखिया पाछू दौगलि आवै धूर उड़ैलें ।
गाय चरैलें, दूध दुहैलें, चुकढ़ी केॅ लटकैलें ।।
जगन्नाथ घर ऐलखी कान्हा रसें-रसें मुस्कैलै ।