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ऐलै वसंत / मुकेश कुमार यादव

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फूल में पराग बनी ऐलै वसंत।
बाग में बहार बनी ऐलै वसंत।
फगुआ बयार बनी ऐलै वसंत।
सजना हमार बनी ऐलै वसंत।
पल्लव कपोल बनी ऐलै वसंत।
मृदंग, झाल, ढोल बनी ऐलै वसंत।
होलिया अनमोल बनी ऐलै वसंत।
कोयलिया के बोल बनी ऐलै वसंत।
कली कचनार बनी ऐलै वसंत।
चमेली, हरसिंगार बनी ऐलै वसंत।
रस के फुहार बनी ऐलै वसंत।
खेतवा-बैहार बनी ऐलै वसंत।
खुशियाँ अपार बनी ऐलै वसंत।
बेटवा दुलार बनी ऐलै वसंत।
घर ऐंगना द्वार बनी ऐलै वसंत।
टिकवा लीलार बनी ऐलै वसंत।
पायलिया झनकार बनी ऐलै वसंत।
अगहनियाँ खमार बनी ऐलै वसंत।
धनवां बेशुमार बनी ऐलै वसंत।
धानो के आर बनी ऐलै वसंत।
अचरा के पार बनी ऐलै वसंत।
नखरा हज़ार बनी ऐलै वसंत।
अमुआ के डार बनी ऐलै वसंत।
महुआ पथार बनी ऐलै वसंत।
भौरा के प्यार बनी ऐलै वसंत।
दिल के क़रार बनी ऐलै वसंत।
गीता के सार बनी ऐलै वसंत।
कजरा के धार बनी ऐलै वसंत।
राधा के हार बनी ऐलै वसंत।
मीरा के प्यार बनी ऐलै वसंत।
कान्हा हमार बनी ऐलै वसंत।
गोकुल के ग्वाल बनी ऐलै वसंत।
कंस के काल बनी ऐलै बसंत।
यशोदा के लाल बनी ऐलै बसंत।
बसंती गुलाल बनी ऐलै वसंत।
गोपीयन के गाल बनी ऐलै वसंत।
काली-काली बाल बनी ऐलै वसंत।
कदम के डाल बनी ऐलै वसंत।
झाल-करताल बनी ऐलै वसंत।
होली हरसाल बनी ऐलै वसंत।
हिमालय रंग ढाल बनी ऐलै वसंत।
सुरक्षा पहाड़ बनी ऐलै वसंत।
शिवाजी दहाड़ बनी ऐलै वसंत।
सावन-आषाढ़ बनी ऐलै वसंत।
गंगा में बाढ़ बनी ऐलै वसंत।
पीपल के झाड़ बनी ऐलै वसंत।
बरगद के गाछ बनी ऐलै वसंत।
गर्मी में छाछ बनी ऐलै वसंत।
गेंदा, गुलाब बनी ऐलै वसंत।
मौसम लाजबाब बनी ऐलै वसंत।
हसीना के ख़्वाब बनी ऐलै वसंत।
भोर-भिनसार बनी ऐलै वसंत।
वीणा के तार बनी ऐलै वसंत।
मधुर झनकार बनी ऐलै वसंत।
जीवन के सार बनी ऐलै वसंत।
यमुना के तीर बनी ऐलै वसंत।
निर्मल नीर बनी ऐलै वसंत।
बजरंगी वीर बनी ऐलै वसंत।
मक्खन, खीर बनी ऐलै वसंत।
दही, दूध, पनीर बनी ऐलै वसंत।
दानवीर कर्ण बनी ऐलै वसंत।
ममता के मर्म बनी ऐलै वसंत।
लोक-लाज, शर्म बनी ऐलै वसंत।
सनातन धर्म बनी ऐलै वसंत।
बुद्ध के कर्म बनी ऐलै वसंत।
महावीर कर्तव्य बनी ऐलै वसंत।
आर्यावर्त सभ्य बनी ऐलै वसंत।