Last modified on 5 अगस्त 2009, at 07:03

ऐश में एहसास की बातें चलीं / प्रेम भारद्वाज

ऐश में अहसास की बातें चली
मैकदों में प्यास की बातें चली

कीचड़ों ने कमल जब पैदा किए
देवियों के वास की बातें चली

जब कभी रावण के सिर आई है मौत
राम के बनवास की बातें चली
पतझड़ी सन्यास बस आया गया
जब कभी मधुमास की बातें चलीं

याद आया वह पहाड़ी हमसफर
आपसी विश्वास की बातें चली

रह गईं अनुबन्ध बनकर ज़िन्दगी
प्रेम के बनवास की बातें चली