ऐसा क्यों होता है? / ज्ञान प्रकाश सिंह
मान लिया दो स्तंभों पर
एक बाँस स्थापित करके
उस पर बोझा रख दें ‘मन’ भर
तब झुक जाता भारित होकर।
ठीक मध्य में झुकता ज्यादा,
युगल किनारे कम झुकता है;
लेकिन क्या यह भी मालूम है,
ऐसा क्यों होता है?
इसकी भौतिक थ्योरी है
जिसको कहते हैं ‘नमन घूर्ण’।
तदनुसार हैं गणना करते,
बाँस नहीं टूटे झुक करके,
अतः उसे हैं प्रबलित करते।
पर कभी कभी होंगे सुनते
लोगों को यह भी कहते
‘मन’ भारी है।
इसका क्या आशय है?
‘मन’ जो है सो भार युक्त है?
लेकिन भार नहीं दिखता है,
‘मन’ भी नहीं दिखाई देता,
तो इसकी क्या थ्योरी है!
इसकी गणना कैसे होगी!
प्रश्न जटिल है
लेकिन तनिक विचार कीजिये
‘मन’ तो भारी होता ही है
चाहे वह ‘मन’ हो
या यह ‘मन’ हो।
दोनों में केवल यह प्रभेद
वह भौतिक है, यह नैसर्गिक।
(‘नमन घूर्ण’ अर्थात बेंडिंग मोमेंट जिसकी थ्योरी का उपयोग स्ट्रक्चर की डिजाईन में किया जाता है।)