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ऐसा क्यों / मदन गोपाल लढ़ा
Kavita Kosh से
मैंने जो रचा
उसे सहेजा तुमने
संवारा
संभाला
पीड़ा झेली
साकार किया
समष्टि में
हमारे नाम से।
तुमने जो रचा
सहेजा मैंने उसे
सुधारा
निखारा
साकार हुआ वह
समष्टि में
केवल मेरे नाम से।
प्रसव तो दोनों है
फिर ऐसा क्यों ?