भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ऐसा तोता पाला जी / प्रकाश मनु

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ऐसा तोता पाला जी,
कहता हमको लाला जी।
मिर्च खिलाओ, मिर्च खिलाओ,
क्यों पिंजरे में डाला जी?
खूब कुरकुरे पापड़ लाओ,
या मोती की माला जी।
बड़ी ठंड है सिलवा दो ना,
कुरता ढीला ढाला जी।
सोने का पिंजरा बनवाओ,
चाँदी का हो ताला जी।
झट पिंजरे से उसे निकाला,
किसी तरह बस टाला जी।