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ऐसा समय / हरीश करमचंदाणी
Kavita Kosh से
यह कैसा समय हैं
बड़े लड़ रहे हैं
छोटी छोटी बातों पर
बच्चों की तरह
बच्चे गुमसुम उदास
और चिंतातुर
बड़ों की तरह
यह कैसा समय हैं