भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ऐसा होता है किसी को भूलना / येहूदा आमिखाई
Kavita Kosh से
|
जैसे आप पिछवाड़े बरामदे की बत्ती बुझाना भूल जाएं
ऐसा होता है किसी को भूलना
सो वह जली रहती है अगले दिन भर
लेकिन फिर रौशनी ही आपको
दिलाती है याद
अँग्रेज़ी से अनुवाद : निशान्त कौशिक