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ऐसी ही किसी चिड़िया से / विमल कुमार
Kavita Kosh से
मैं उस चिड़िया की तलाश में हूँ
जो तूफान में उजड़ जाने के बाद
अपना घोंसला फिर से बनाती है
लोरी गाकर अपने बच्चों को उसमें सुलाती है
फिर निकलती है
वह दाने की खोज में
देखता हूँ अपने घर से
हर रोज़ मैं
आसमान में उड़ती हुई
वह हमें भी कुछ न कुछ सिखाती है
ज़िन्दगी जीने का रास्ता बताती है
अँधेरी रातों के बाद
मैं भी सुबह होने का इन्तज़ार करता हूँ
ऐसी ही किसी चिड़िया से मैं भी प्यार करता हूँ ।