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ऐसी हो तुम / मुकेश नेमा

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तुम कहती हो मैं सुनता हूँ
तुझ बिन सच मैं रीता हूँ
कुछ रार भरी मनुहार भरी
बाते तेरी ये मान भरी

जादू जादू सा होता है
बहका बहका सा जाता हूँ
आती हैं लहराती सी
बाते तेरी ये नेह भरी

शहनाई सी बजती है
और मन बाराती होता है
आमोद भरी, प्रमोद भरी
बाते तेरी ये छोह भरी

हर रात चाँदनी जीता हूँ
तुमको आँखो से पीता हूँ
घूँट घूँट कर स्वाद भरी
बातें तेरी ये आब भरी