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ऐसे में / आभा पूर्वे
Kavita Kosh से
मन के किसी कोने में
प्यार का संघर्ष
चल रहा था
उसके पास होने का भाव
गहरा रहा था
शबनमी बून्द-सी शीतलता
बढ़ रही थी,
ताप की अगन से
रोम-रोम
जल रहा था
पर कहाँ था
उसका यह
सारा प्यार ।