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ऐसे में / विजय गौड़
Kavita Kosh से
घर के भीतर
सीलन भरी दीवारों पर,
जहाँ सब कुछ चट कर जाने को
तेज़ी से दौड़ रही है दीमक
क्या, बचाई जा सकती हैं वहाँ क़िताबें ?
बचाया जा सकता है
लकड़ी का सामान,
संदूक ?
वहाँ नहीं बची रह सकती
दो घड़ी सुस्ताने के लिए
लगाई गई चारपाई
ऐसे में तुम
वर्षों से सूखे तैल चित्र को
कैसे बचा पाओगे ?