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ऐसों तन भयो गयो सब ही को / संत जूड़ीराम
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ऐसों तन भयो गयो सब ही को।
रे मन चेत हेत कर हर सों अंतकाल बिछुरे को की को।
जोग्य जग्य जप तप अखंड वृत नाम बिना फीको तन तीको।
हरदम हांक काल मन लागो और रहस देखत सब फीको।
बहो जात सिंसार धार में कर्म-सुकर्म बाँध जस जी को।
जूड़ीराम नाम बिन चीन्हें जात जगत फिर खबर न ही को।