ऐसो कियेा न विमल विवेक हो एक बिना जूझै सबै।
कर्म धर्म मारग घनो सनो सकल सनसार।
तिसना बाँधी गाँठ में काटौ विषय बिहार हो।
सकल जीव सावज भये माया भई खिलवार।
मोह फांस गांसे सबै गतमत सकौ न टार हो।
चार जुग्ग बातन गये खोल न देखे नैन।
परखन आई नाम की बिन सतगुरु की सैन हो।
अटपट झगरा जगत को सुरझाा सके न कोय।
जूड़ीराम जीव उबरे जब खेल पिछारा होय हो।