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ऐ काच रा घर भाठा ना फेंको / सांवर दइया
Kavita Kosh से
ऐ काच रा घर भाठा ना फेंको
म्हांनै लागै डर भाठा ना फेंको
थारै-म्हारै सुपनां रो कर सौदौ
जुलूस गयो गुजर भाठा ना फेंको
बातां सूं ई तोड़ो फूल गगन रा
ठारो थे कीं कर भाठा ना फेंको
माटी री ताकत ओळखो तो सरी
रतन बणावै नर भाठा ना फेंको
सागी ठौड़ लागण री जेज है बस
आखर करै असर भाठा ना फेंको