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ऐ हवा (नज़्म) / चाँद शुक्ला हदियाबादी

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 ऐ हवा (नज़्म)
ऐ हवा मुझको तू आँचल में छुपाकर ले जा
सूखा पत्ता हूँ मुझे साथ उड़ाकर ले जा

शाख़ से कट के तुझे टूट के चाहा मैंने
तू मेरी याद को सीने में छुपाकर ले जा

बंद आँखों में मेरी झाँकते रहना अक्सर
अपनी पलकों में मेरा प्यार सजाकर ले जा

गुनगुनाना तू मेरे शे’र हो जब भी फुर्सत
मेरी ग़ज़लों को तू होंठों पे सजाकर ले जा

साथ क्या लाई हो पूछें तो बताना उनको
अपने माथे पे मेरा प्यार सजा कर ले जा

साथ क्या लाई हो पूछें तो बताना उनको
अपने माथे पे मेरा प्यार सजा कर ले जा

राहे तारीक में ये रोशनी देंगे तुझको
माँग में चाँद सितारों को सजा कर ले जा