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ओ! दीप जलाने वाले / बीना रानी गुप्ता
Kavita Kosh से
ओ! दीप जलाने वाले तू इतना सुनता जा।
हर अंधियारे कोने में तू दीप जलाता जा।
अमावस्या की इस बेला मे, तू कण-कण उज्वल कर दे
सारी भू पर इस बेला में, तू नवजीवन भर दे।
लेकर मानवता का दीप, तू जन-जन में नेह भरता जा
हर अंधियारे कोने में, तू दीप जलाता जा।
ओ! दीप जलाने वाले.........
रूठे होठों पर तू हास जगा दे।
सूनी आंखों में तू मुस्कान बिखरा दे।।
क्लान्त पथिक को तू विश्राम देता जा।
हर अंधियारे कोने में तू दीप जलाता जा।।
ओ! दीप जलाने वाले.....
अपने हृदय की कालिमा को धवलित कर ले।
अपने परायों की आत्मा को जागृत कर दे।।
अमर शहीदों को कुछ दीप अर्पित करता जा।
हर अंधियारे कोने में तू दीप जलाता जा।।
ओ! दीप जलाने वाले तू इतना सुनता जा।
हर अंधियारे कोने में तू दीप जलाता जा।