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ओजोन / शशिधर कुमर 'विदेह'

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ओजोन-ओजोन बड्ड सुनै छी,
की थिक कने बताउ।
सुनलहुँ बहुते किछु नञि बुझलहुँ,
हमरो किछु समझाउ॥


एक तत्त्व थिक गैस रूपमे,
नाँव जकर ऑक्सीजन।
दू परमाणुक युतिक अणु जे,
से परिचित ऑक्सीजन।
गाछ-बिरिछ सभ जन्तु मनुक्खो,
इएह साँसमे लैत’छि।
गाछ बिरिछ पुनि आन क्रियामे,
ऑक्सीजन छोड़ैत’छि।
ऑक्सीजन केर त्रिपरमाणुक,
युतिसँ बनल ओजोन।
साँस लेबा केर ऑक्सीजनसँ,
बिल्कुल अलग ओजोन।

जँ एतबा धरि समझि गेलहुँ,
तँऽ आगू बात बढ़ाउ।
नञि बुझलहुँ-तँऽ सेहो बाजू,
की दिक्कत कतऽ बताउ॥


तापक्रमक घट-बढ़ अनुसारेँ,
चारि पड़त वायुमण्डल केर।
आन विशिष्ट गुणक आधारेँ,
 उपविभाग पुनि हर मण्डल केर।
पहिल क्षोभ, समताप फेर,
आ मध्य-ताप तेसर-चारिम।
समतापक उपरी सीमा पर,
घटना एक घटय बंकिम।
सूर्यकिरण केर एक घटक जे,
पराबैगनी किरण कहाबय।
तकरा अवशोषित कऽ एहि ठाँ,
ऑक्सीजन ओजोन बनाबय।

ओजोनक ई जन्म-प्रक्रिया,
सुनि कऽ ने अनठाउ।
ई घटना नञि थिक मामूली,
मुँहकेँ जुनि बिचकाउ॥


ई ओजोन रहय ओहि ठाँ,
ने ऊपर-नीचाँ जाय।
पातड़ सन स्तर बनबय, से
ओजोन पड़त कहाय।
छत्ता सन धरती पर तानल,
ओ जीवन रक्षक बनइछ।
दुष्ट पराबैगनी किरण केर,
ई सद्यः भक्षक बनइछ।
टूटय-बनय-पुनः टूटय,
ओजोनक अणु निरन्तर।
सन्तुलित निर्माण-ध्वंश,
तेँ बुझि ने पड़इछ अन्तर।

पराबैगनी अछि गुनधुनमे,
भीतर कोना कऽ जाउ।
ओजोनक अभेद्य दुर्गमे,
कोना कऽ सेन्ह लगाउ॥


एतबामे मानव विकाश केर,
शंखनाद सौंसे भेलै।
औद्योगिक विकाशक परचम,
ओजोनहु पर फहरेलै।
सी॰एफ॰सी॰ छल सेनापति,
ओ ओजोनक संहार केलक।
भूर बना ओजोन पड़तमे,
दुष्ट किरणकेँ बाट देलक।
पराबैगनी जा धरती पर,
डी॰एन॰ए॰ पर घात करय।
डी॰एन॰ए॰ गुणसूत्र जीवनक,
तकरे संग उत्पात करय।

कर्करोग त्वक् सँ सम्बन्धित,
बाढ़त से बुझि जाउ।
जल-थल-नभ-ऋतुचक्र एखनुका,
बदलत एकदम बाउ॥


जँ भविष्यमे नञि चाही,
एहेन सन किछु बदलाव।
बन्न करू हर एक घटक,जनि
सी॰एफ॰सी॰ सन भाव।
प्रशीतक ए॰सी॰ आ फ्रीज केर,
तत्क्षण बदलल जाए।
प्रणोदक-रॉकेट ईन्धन केर,
हो उपयुक्त उपाय।
एखनहु चेतब तँऽ बर्षो धरि,
क्षतिपुर्तिमे लागत।
जँ विलम्ब कनिञो होएत तँऽ,
हमसभ होएब अभागल।

विकसित राष्ट्र सक्षम अधिभारक,
तेँ अधिभार उठाउ।
अन्य राष्ट्र बिनु मुँह बिचकओने,
निज दायित्व निभाउ॥