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ओठ पर अब कहाँ दुआ बाटे / बच्चू पाण्डेय
Kavita Kosh से
ओठ पर अब कहाँ दुआ बाटे,
शब्द के दर्द के धुआँ बाटे।
डेग कहँवा धरीं, बड़ा मुश्किल,
हर तरफ बस कुँआ-कुँआ बाटे।
भीड़ में बात के वजन का बा,
शोर खाली हुआँ-हुआँ बाटे।
एक पनघट हजार बा गगरी,
हमरा लोटा के ना ठुआ बाटे।
कबहूँ डगरा में, सूप में कबहूँ,
जिनगी उरिया रहल भुआ बाटे।
जिनगी पेवन भरल मइल लुगरी,
आस तागा, करम सुआ बाटे।
कहँवा, केकरा भरोस पर जाईं,
हर पड़ाव पर जमल जुआ बाटे।