ओला न मिल सके तो उबर से निकल चलें
आओ उदासियों के शहर से निकल चलें
दिल की सड़क पर ग़म के हैं शोले बिछे हुए
आहों के काफिले न इधर से निकल चलें
पागल न कर दे हमको ये अख़बार एक दिन
बेहतर है इसकी झूठी ख़बर से निकल चलें
इतने भी काँटे राह में मत बो की एक दिन
घायल,उदास पाँव सफ़र से निकल चलें
यादों की रस्सियों से बहुत घुट रहा है दम
चल दूर हादसों के असर से निकल चलें
खतरों की बारिशों का तो मौसम ही तय नहीं
हिम्मत का रेनकोट ले घर से निकल चलें