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ओळयूं / गौरीशंकर
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थोरी ओळयूं
बाजरी रा सिट्टा माथै
बैठी अेक चिड़कली
चीं-चीं कर हांसै।
थारै उणमांन
देखूं चिड़कली
उड़गी
देखतौ जावूं
थारै ओळयूं रै उणमानं।