भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ओळ्यूं-5 / पूर्ण शर्मा पूरण
Kavita Kosh से
मेळै जिसी भीड़ मांय ई
म्हनै
आवड़ै कोनी
तद कळमळायनै पूगंणौ चावूं
थारै तांई
पंण
हाथ पूगै कोनी।