धोळै दोपारै
आभै में हेरूं
रात आळो
खांडियो चांद
दिखै ई नीं
समूळै आभै
घूम घाम'र
धरती री सींव
उतरै दीठ
मन मुळकै
हरखै अंतस।
अंतस रो ओ हरख
मुळकतै मन री
आ ऊंडी थ्यावस
थांरी ई तो है
अखूट ओळ्यूं!
धोळै दोपारै
आभै में हेरूं
रात आळो
खांडियो चांद
दिखै ई नीं
समूळै आभै
घूम घाम'र
धरती री सींव
उतरै दीठ
मन मुळकै
हरखै अंतस।
अंतस रो ओ हरख
मुळकतै मन री
आ ऊंडी थ्यावस
थांरी ई तो है
अखूट ओळ्यूं!