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ओवरटाईम की कमाई / लालित्य ललित

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मज़दूर ईंट ढोता है
सीमेंट, बालू मिलाता है
मसाला घोलता है
तसला भर ले जाती है
मज़दूरन
पसीना पल्लू से पोंछती
मज़दूर कच्ची शराब पीकर
धुत पड़ा है
उसकी ज़ोरू ठेकेदार
की खोली में मदहोश
करे भी क्या
कलुआ तो सुनता नहीं
तीन दिन से
भरपेट खाना नहीं खाया था
धोती भी फट गई थी
आटे का कनस्तर ख़ाली था
ना चीनी ना दाल
ख़ाली नमक से क्या होता है
कई बार
बिल्लो ने कहा भी
लेकिन कलुआ कहां सुनता है !
- अब आए दिन
ठेकेदार की विशेष मेहमान
होती है बिल्लो
खाने को बढ़िया भोजन पाती है
कनस्तर में घी है
आटा है, तेल है
दर्जन भर धोतियां हैं
सतरंगी ब्लाउज है
मिला-जुलाकर पहनती है
पैरों में चप्पल
माथे पर बिंदिया
ठेकेदार ने टी.वी. भी
लगवा दिया है
कलुआ बेख़बर है
उसे तो टैम पर
मिल जाती है
शराब, नमकीन
और बिल्लो की
मदमस्त अदा !
उसको पता तो चलता है
जब साथी बता देते हैं
लेकिन वह बात टाल देता है
उसका ख़र्चा चल रहा है
चाहे बिल्लो चलाए
या कोई और
गाना बज रहा था
‘बीड़ी जलइ ले कृ.
जिगर मा बड़ी आग है कृ.
ठेकेदार और बिल्लो
का
हनीमून जारी है
और
कलुआ-जैसे
अनेकों कलुए
नशे में
बेख़बर पड़े हैं
जिन्हें पड़े ही रहना है