Last modified on 2 मई 2009, at 17:18

ओस पदे बहार पर आग लगे कनार में / जिगर मुरादाबादी


ओस पदे बहार पर आग लगे कनार में
तुम जो नहीं कनार में लुत्फ़ ही क्या बहार में

उस पे करे ख़ुदा रहम गर्दिश-ए-रोज़गार में
अपनी तलाश छोड़कर जो है तलाश-ए-यार में

हम कहीं जानेवाले हैं दामन-ए-इश्क़ छोड़कर
ज़ीस्त तेरे हुज़ूर में, मौत तेरे दयार में