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ओ अम्माँ! ओ अम्माँ! / रमेश तैलंग
Kavita Kosh से
अटकन दे, चटकन दे।
दही बिलोकर मक्खन दे।
ओ अम्माँ! ओ अम्माँ!
थप-थप, थप-थप थपकी दे।
पलकें भारी, झपकी दे।
ओ अम्माँ! ओ अम्माँ!
हाथ सिरहाने अपने दे।
आज सुहाने सपने दे।
ओ अम्माँ! ओ अम्माँ!
अच्छी-अच्छी सीखें दे।
ढेर भरी आशीषें दे।
ओ अम्माँ! ओ अम्माँ!