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ओ चिड़िया / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
Kavita Kosh से
ओ चिड़िया तुम कितनी अच्छी
फुदक फुदक कर गाती हो
घने पेड़ की डाल बैठकर
अपनी पूंछ हिलाती हो
मैं चुपचाप पीछे से आकर
यदि तुम तक चढ़ आऊँ तो
बैठूँ पास तुम्हारे जाकर
पत्तों में छुप जाऊँ तो
उड़ मत जाना प्यारी चिड़िया
हम तुम दोनों झूलेंगे
पंख मुझे यदि दे दोगी तो
आसमान भी छू लेंगे।