अग्रसर सदा रह निज पथ पर
ओ जीवन की गतिमय सरिता॥
ऊबड़ खाबड़ कंकर पत्थर
उथली धरती गहरे गह्वर।
ले तू वसुधा के दोष छुपा
कर सुधार लेप इन पर सत्त्वर।
ओ जीवन की गतिमय सरिता॥
बढ़ती जा ले आतुर अंतर
गतिशील जगत की राहों पर।
मधुराशा प्रिय आलिंगन की
धर धीर पीर से भर अंतर।
ओ जीवन की गतिमय सरिता॥
आहट हो सुख के पहरों पर
सूने कर्णों के कुहरों पर।
बस एक बूँद भर अमृत की
टपका दे प्यासे अधरों पर।
ओ जीवन की गतिमय सरिता॥