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ओ दुपट्टा रंग दे मेरा रंगरेज / गोपाल सिंह नेपाली
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ओ दुपट्टा रंग दे मेरा रंगरेज
हो गयी सरसों पीली-पीली
आज हरी कल लाल चदरिया
परसों ओढू नीली-नीली
ओ दुपट्टा रंग दे मेरा रंगरेज
हो गयी सरसों पीली-पीली...
सुबह को पहनूँ तो सजनवा
आस पास मंडलाए
शाम को पहनूँ तो बलम
घर छोड़ कहीं न जाए
बलम घर छोड़ कहीं न जाये
रात अंधेरी हो तो हो जाऊँ
जुगनू सी चमकीली
ओ दुपट्टा रंग दे मेरा रंगरेज
हो गयी सरसों पीली-पीली...
मन में नई उमंग
अंग में चुनरी ढीली-ढीली
अपने पिया से कुछ न सीखूँ
जब न मुझे तन ढीली पड़ गयी
जब न मुझे तन ढीली
होंठ रंगूँ मैं लाल गुलाबी आँखों से शर्मीली
ओ दुपट्टा रंग दे मेरा रंगरेज
हो गयी सरसों पीली-पीली...