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ओ माकी ! / वन्दना टेटे
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					उलगुलान के दौरान माकी मुण्डा टाँगी लेकर ही ब्रिटिश फौज से भिड़ गई थी।
सरई (सखुआ) के पत्ते
फुला गए हैं
रेशम के कोये में
अण्डे खदबदा रहे हैं
बिरसा से कहना
अभी भी होती है
पत्थलगड़ी
हम अभी भी करते हैं
एरा सेन्दरा (जनी / स्त्री शिकार)
दिसुम (देश) में हर बिहान
आज भी है उलगुलान
	
	