भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
औंधा प्रेम / सुषमा गुप्ता
Kavita Kosh से
कहने को तो
यह कहा जाना चाहिए
कि तुम्हारे सीने से लगकर
मेरे वक्षों ने बहुत सुख पाया
पर मेरी पीठ जानती है
कि सबसे ज़्यादा सुख
तुम्हारे सीने से सटकर
उसको मिला है।
तुम्हारे मेरे बीच
प्रेम के सब सुख
औंधे क्यों हैं साथी!
-0-